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Saturday, 20 October 2012

'' स्कन्दमाता ''


                                                                             5 स्कन्दमाता
(ध्यान मंत्र)
                            सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितंकरद्वया |
                           शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ||

     जप मंत्र
                         ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं स्कन्दमातायै नमः
 स्कन्दमाता की उपासना भक्त सभी इच्छाएं पूर्ण होती है | उसे परम शांति और सुख का अनुभव होता है | इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से सम्पन्न हो जाता है | 
भगवती दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाताके रूप में जाना जाता है। स्कन्द कुमार अर्थात् काíतकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कन्दमाताकहते हैं। इनका वाहन मयूर है। मंगलवार के दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थितहोता है। इनके विग्रह में भगवान स्कन्दजीबाल रूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं। स्कन्द मातुस्वरूपणीदेवी की चार भुजाएं हैं। ये दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा से भगवान स्कन्द्रको गोद में पकडे हुए हैं और दाहिने तरफ की नीचे वाली भुजा वरमुद्रामें तथा नीचे वाली भुजा जो ऊपर उठी हुई है, इसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। इनका वर्ण पूर्णत:शुभ है। ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसी कारण से इन्हें पद्मासनादेवी कहा जाता है। सिंह भी इनका वाहन है

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