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Wednesday, 17 October 2012

'' ब्रह्मचारिणी ''

2. ब्रह्मचारिणी
(ध्यान मंत्र)
                               दधाना करमद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू |
                                देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
अर्थात्- मां दुर्गा की नवशक्तियों का दूसरा स्वरुप ब्रह्मचारिणी है | ब्रह्मचारिणी देवी का स्वरुप पूर्ण ज्योर्तिमय एवं अत्यंत भव्य है | इनके दाहिने हाथ में जाप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है |
जप मंत्र 
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नमः अर्थात्- मां दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरुप भक्तों और सिद्धों को अनंत फल देने वाला है| इनकी उपासना से मनुष्य में तप त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है | जीवन के कठिन संघर्षो में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता | मां ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से उसे सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है |


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