1. शैलपुत्री
(ध्यान मंत्र)
वन्दे वांच्छितलाभाय चन्द्रा.र्धकृतशेखराम् |
वृषारुढ़ां शूलधरां यशस्विनीम् ||
अर्थात्- देवी वृषभ पर स्थित हैं, इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बांए हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है | यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा है | नवरात्र के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत सविधि शैलपुत्री का पूजन व जाप मंत्र करना चाहिए |
जप मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नमः
अर्थात्- शैलपुत्री देवी का विवाह शंकरजी से ही हुआ | पूर्वजन्म की भांति इस जन्म में भी वह शिवजी का अर्द्धांगिनी बनीं | नवदुर्गाओं में प्रथम शैलपुत्री दुर्गा का महत्व और शक्तियां अनन्त हैं | नवरात्र पूजन में प्रथम दिवस इन्हीं की पूजा और उपासना की जाती है और यहीं से दुर्गा की योगसाधना प्रारम्भ होती है |
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