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Tuesday, 12 June 2012

''ध्यानू भग्त जी की शंहशाह अकबर से भेंट ''

''ध्यानू भग्त  जी की शंहशाह अकबर  से  भेंट कब हुई ...............?
माँ भगवती से जागरण  की  महंत  पदवी  प्राप्त करके माता रानी के
जागरण  पंथ को अपना कर जागरण  का  सफर शुरू  करता  है ।आगरा
शहर  के  पास  ही माता सेमरी देवी के  मंदिर  में नवरात्रों  के  दिनों  में
ध्यानू भग्त जी  माँ  का  गुणगान  किया करते  थे । एक  दिन माँ ज्वाला जीके दर्शन  करने  के  लिए अपने  गॉंव  से  पदयात्रा केरूप में माता रानी  का गुणगान करता हुआ  चला , लेकिन जब दिल्ली  शहर  में प्रवेश किया  तोअकबर  के सिपाहियों  ने  अकबर  से जाकर  खवर  की ,तो अकबर ने आकरध्यानू भग्त  से  पूछा  कि आप  कहाँ जा  रहे  हो ,किसका  गुणगान  कररहे  हो ,तो ध्यानू जी  नेकहाकि  हम माँ  ज्वाला जी  के दर्शन  करने  जा  रहे  है ।अकबर ने  कहा कौन सी ज्वाला माँ , कैसी ज्वाला माँ ....?
ध्यानू भग्त जी  ने  माँ ज्वाला जी  की महिमा  अकबरसे  कही, तो अकबर  ने कहा  मुझे उसकीशक्तिदिखाओ।  जिस घोड़े पर ध्यानू भग्त अपनी यात्रा का  सामान  लेके जारहे थे उस घोड़े का शीश काट दिया और कहा अगर आपको इतनामान है अपनी ज्वाला माँ पर तो उससे कहो जाकरकि घोड़े को जिन्दा करके दिखाए । ध्यानू भग्त  ने अपनी यात्राका वो झंडा उसी जगह गाड़ दियाऔर  माँ की चौकी लगाकर माँ का आह्वान किया ।माँने इक पल मे घोड़े का शीश जोड़ कर घोड़े को जिन्दा कर दिया ।अकबर देख कर हैरान होगया ।दिल्ली मे जहाँ ये घटना हुई थी वो स्थानआज माँ झंडेवाली के नाम से मशहूर है।
                                   ''जै कारामाँ झंडेवाली जी दा ''

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