जागरण मे ध्यानूभग्त का क्या स्थान है ? , उनका जन्म कहाँ हुआ ?, वो कहाँ के रहने वाले थे ?
ध्यानूभग्त जी का जन्म आगरा शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर टपरा नामक गॉंव में हुआ था ।
यह गॉंव आगरा से सिरौली मार्ग पर आता है । ये माँ जोतांवाली <ज्वालाजी >के उपासक थे ।एक वार
ज़ब ये माता रानीकी भक्ति में लीनथेतो माता राणी दर्शन देने के लिए आई तो माता रानी ने कहा कि
आपमेरे लिए क्या भेंट ले के आएहो, ध्यानू भग्त ने कहामै कोई भेंट नही लायाहूँ मै नही जानता
आपकी क्या भेंट है , तो माता रानी ने अपनी भेंट बताई कि पान , सुपारी ,ध्वजा ,नारियल ये मेरी
भेंट है ।सुनकर ध्यानू भग्तसोचने लगे ये चीजें मै कहाँ से लाऊं ।उन्होंने विचार किया मेरे जीवन
का उदेश्य माता राणी के दर्शन करना थे ,आज मै धन्य हो गया क्यों ना इस जीवन को दाती के
चरणों में समर्पित करके मोक्ष की प्राप्ति लूं ।ये विचार करके अपना शीश काटके माँ के चरणों में
अर्पण कर दिया ।
माताराणी जान गई कि ध्यानू भग्त ने मोक्ष हेतू ही अपना शीश अर्पण किया है ,अमृत का छींटा
देकर शीश फिरसे जोड़ दिया और वरदान मांगने केलिए कहा । तो ध्यानू भग्त ने कहा जोशीश
प्रदानकरके आपने नया जीवन दिया अब इस मुख में हर वक्त बस आपका ही नाम हो ।ध्यानू
की इच्छा को देखते हुए माता राणी ने एक पगड़ी ध्यानू भग्त के शीश के ऊपरभेंट की और कहा कि
आज के बाद तू मेरे जागरण का महंत कहलाएगा। मेरे जागरण पंथ को अपनाकर मेरा गुणगान कर ।
ध्यानू भग्त ही माता के जागरण का पहला महंत कहलाया है
जै मातादी
ध्यानूभग्त जी का जन्म आगरा शहर से 5 किलोमीटर की दूरी पर टपरा नामक गॉंव में हुआ था ।
यह गॉंव आगरा से सिरौली मार्ग पर आता है । ये माँ जोतांवाली <ज्वालाजी >के उपासक थे ।एक वार
ज़ब ये माता रानीकी भक्ति में लीनथेतो माता राणी दर्शन देने के लिए आई तो माता रानी ने कहा कि
आपमेरे लिए क्या भेंट ले के आएहो, ध्यानू भग्त ने कहामै कोई भेंट नही लायाहूँ मै नही जानता
आपकी क्या भेंट है , तो माता रानी ने अपनी भेंट बताई कि पान , सुपारी ,ध्वजा ,नारियल ये मेरी
भेंट है ।सुनकर ध्यानू भग्तसोचने लगे ये चीजें मै कहाँ से लाऊं ।उन्होंने विचार किया मेरे जीवन
का उदेश्य माता राणी के दर्शन करना थे ,आज मै धन्य हो गया क्यों ना इस जीवन को दाती के
चरणों में समर्पित करके मोक्ष की प्राप्ति लूं ।ये विचार करके अपना शीश काटके माँ के चरणों में
अर्पण कर दिया ।
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देकर शीश फिरसे जोड़ दिया और वरदान मांगने केलिए कहा । तो ध्यानू भग्त ने कहा जोशीश
प्रदानकरके आपने नया जीवन दिया अब इस मुख में हर वक्त बस आपका ही नाम हो ।ध्यानू
की इच्छा को देखते हुए माता राणी ने एक पगड़ी ध्यानू भग्त के शीश के ऊपरभेंट की और कहा कि
आज के बाद तू मेरे जागरण का महंत कहलाएगा। मेरे जागरण पंथ को अपनाकर मेरा गुणगान कर ।
ध्यानू भग्त ही माता के जागरण का पहला महंत कहलाया है
जै मातादी
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