इस बीच, श्री राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफ़ा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा.रावण के विरुद्ध श्री राम की विजय के लिए मां ने 'नवरात्र' मनाने का निर्णय लिया. इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं. श्री राम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी. त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी.
Sunday, 22 July 2012
'' मां वैष्णो देवी ''
इस बीच, श्री राम ने त्रिकुटा से उत्तर भारत में स्थित माणिक पहाड़ियों की त्रिकुटा श्रृंखला में अवस्थित गुफ़ा में ध्यान में लीन रहने के लिए कहा.रावण के विरुद्ध श्री राम की विजय के लिए मां ने 'नवरात्र' मनाने का निर्णय लिया. इसलिए उक्त संदर्भ में लोग, नवरात्र के 9 दिनों की अवधि में रामायण का पाठ करते हैं. श्री राम ने वचन दिया था कि समस्त संसार द्वारा मां वैष्णो देवी की स्तुति गाई जाएगी. त्रिकुटा, वैष्णो देवी के रूप में प्रसिद्ध होंगी और सदा के लिए अमर हो जाएंगी.
Friday, 13 July 2012
''शक्ति माँ के नाम में ''
ना तेरा आगाज़ देखा है , ना तेरा अंजाम देखा है
रौशन तुम्हारी ज्योति को माँ सुबह शाम देखा है
गर्दिशे मौत से ना आज तक बच पाया है कोई
करे मुर्दे को भी जिन्दा माँ वो तेरा नाम देखा है ।
माँ के जो लाल है मुश्किल में वो घवराया नही करते
गिला तकदीर का कभी लवों पर लाया नही करते
भरोसा है जिनको जगजननी की रैह्मत पर
भिखारी बनकर दर दर वो हाथ फैलाया नही करते ।
रौशन तुम्हारी ज्योति को माँ सुबह शाम देखा है
गर्दिशे मौत से ना आज तक बच पाया है कोई
करे मुर्दे को भी जिन्दा माँ वो तेरा नाम देखा है ।
माँ के जो लाल है मुश्किल में वो घवराया नही करते
गिला तकदीर का कभी लवों पर लाया नही करते
भरोसा है जिनको जगजननी की रैह्मत पर
भिखारी बनकर दर दर वो हाथ फैलाया नही करते ।
Thursday, 12 July 2012
''माँ का चमत्कार ''
एक वार हम मातारानी के जागरण में मातारानी का गुणगान करने के लिए एक शहर के विशाल जागरण में गये हुए थे ।जागरण का पण्डाल मुख्य सड़क के किनारे बनाया गया था । हम गुणगान कर रहे थे , तभी हमारे सामने हमारे देखते देखते एक मोटर साइकल की चपेट में एक लड़का आ गया , वो बाइक से टकराकर इतनी जोर से उछला जैसे फुटवाल उछलता है । देख कर सभी लोग चिला उठे , सभी उस तरफ दोड़ पड़े क्योकि वो बाइक बाला भी बुरी तरह से गिरा था । जब बहा जाकर देखा तो क्या देखा कि न तो उस लडके को कोई चोट आई थी और न ही उस बाइक वाले को कोई खरोंच आई थी । ये सब देख के हैरान हो गये , ये सब मातारानी का ही चमत्कार था ..........
बोलिए जै मातादी ।
Monday, 9 July 2012
"संस्कार"
माँ बाप का सबसे बड़ा धर्म अपनी सन्तान को अच्छे संस्कार देना है ।
एक माँ का एक बेटा था । जब वो स्कूल में पढने लगा तो बुरी संगत में पड़ने के कारण एक दिन कक्षा के ही एक छात्र का पेन चुरा लिया । जब माँ को पता चला तो माँ ने उसे रोकने की बजाए ,कि बेटा ये बुरी बात होती है उसकी पीठ थपथपाई कहा शाबाश बेटा..........। बस उसके बाद क्या था बेटे का होंसला बढ़ता गया और वो चोरिआं करता करता एक बहुत बड़ा चोर बन गया । एक दिन वो पकड़ा गया राजा के पास पेश किया तो राजा ने उसे फांसी की सज़ा सुनाई , जब उसे फांसी देते समय उसकी आखिरी इच्छा पूछी गयी तो उसने अपनी माँ से मिलने की इच्छा जताई ।उसकी माँ को उससे मिलाने के लिए लाया गया । जब वो अपनी माँ से मिला तो उसने जोर से एक तमाचा अपनी माँ के गाल पर दे मारा और कहा कि ,माँ अगर आपने मेरे को उस समय , जब में पहली बार स्कूल से पेन को चुरा कर लाया था ये तमाचा उस समय मारा होता तो आज में इस फांसी के तख्त पर खड़ा नही होता ।
एक माँ का एक बेटा था । जब वो स्कूल में पढने लगा तो बुरी संगत में पड़ने के कारण एक दिन कक्षा के ही एक छात्र का पेन चुरा लिया । जब माँ को पता चला तो माँ ने उसे रोकने की बजाए ,कि बेटा ये बुरी बात होती है उसकी पीठ थपथपाई कहा शाबाश बेटा..........। बस उसके बाद क्या था बेटे का होंसला बढ़ता गया और वो चोरिआं करता करता एक बहुत बड़ा चोर बन गया । एक दिन वो पकड़ा गया राजा के पास पेश किया तो राजा ने उसे फांसी की सज़ा सुनाई , जब उसे फांसी देते समय उसकी आखिरी इच्छा पूछी गयी तो उसने अपनी माँ से मिलने की इच्छा जताई ।उसकी माँ को उससे मिलाने के लिए लाया गया । जब वो अपनी माँ से मिला तो उसने जोर से एक तमाचा अपनी माँ के गाल पर दे मारा और कहा कि ,माँ अगर आपने मेरे को उस समय , जब में पहली बार स्कूल से पेन को चुरा कर लाया था ये तमाचा उस समय मारा होता तो आज में इस फांसी के तख्त पर खड़ा नही होता ।
Saturday, 7 July 2012
'' जीवन साथी की आयु वृद्धि ''
उमा उषा च वैदेही , रमा गंगा इति पंचकम ।
प्रातरेव पठेंनित्यं ,सौभाग्यम वर्धते सदा ।।
उमा , उषा , वैदेही { सीता } रमा {लक्ष्मी } गंगा
जो कोई सुबह उठ कर इन पांच नामो का उचारण
करता है उसके सौभाग्य {जीवन साथी की आयु }की वृद्धि
होती है ।
प्रातरेव पठेंनित्यं ,सौभाग्यम वर्धते सदा ।।
उमा , उषा , वैदेही { सीता } रमा {लक्ष्मी } गंगा
जो कोई सुबह उठ कर इन पांच नामो का उचारण
करता है उसके सौभाग्य {जीवन साथी की आयु }की वृद्धि
होती है ।
Friday, 29 June 2012
भागवत सन्देश
आज मानव जीवन को भागवत कथा क्यों जरूरी है ...........?
आज मानव जीवन को भागवत कथा इसलिए जरूरी है क्योंकि आज मानव जीवन दिशा हीन होगया है ,अपने मार्ग से भटक गया है । भागवत कथा जीवन दर्पण का कार्य करती है जिस प्रकार हम दर्पण को देखकर अपना चेहरा संवार लेते है अगर वो कहिं से खराब हो गया हो तो उसे ठीक करलेते है उसी प्रकार भागवत कथा को सुन कर उसका मंथन करके अपने जीवन को सुधार लेते है ।लेकिन भागवत है क्या ...........?
भागवत ---जिसमे भगवान एवं भगवान के भक्तों के चरित्रों का वर्णन है और जिससे हमे भक्ति , ज्ञान , वैराग्य और तपस्या प्राप्त हो , उसे ही भागवत कहा गया है ।आज मानव जीवन को भागवत कथा बहुत जरूरी है ताकि आज का मानव "सत्य" , "प्रेम" और "करुणा" को अपनाकर एक सच्चा और अच्छा इन्सान बन सके क्योंकि ....................
आज आदमी की शक्ल से डर रहा है आदमी ,आदमी को मार घर भर रहा है आदमी ,,
आज आदमी ही मरता और आदमी ही मारता ,आज आदमी को मार खुद मर रहा है आदमी ...........।
आज मानव जीवन को भागवत कथा इसलिए जरूरी है क्योंकि आज मानव जीवन दिशा हीन होगया है ,अपने मार्ग से भटक गया है । भागवत कथा जीवन दर्पण का कार्य करती है जिस प्रकार हम दर्पण को देखकर अपना चेहरा संवार लेते है अगर वो कहिं से खराब हो गया हो तो उसे ठीक करलेते है उसी प्रकार भागवत कथा को सुन कर उसका मंथन करके अपने जीवन को सुधार लेते है ।लेकिन भागवत है क्या ...........?
भागवत ---जिसमे भगवान एवं भगवान के भक्तों के चरित्रों का वर्णन है और जिससे हमे भक्ति , ज्ञान , वैराग्य और तपस्या प्राप्त हो , उसे ही भागवत कहा गया है ।आज मानव जीवन को भागवत कथा बहुत जरूरी है ताकि आज का मानव "सत्य" , "प्रेम" और "करुणा" को अपनाकर एक सच्चा और अच्छा इन्सान बन सके क्योंकि ....................
आज आदमी की शक्ल से डर रहा है आदमी ,आदमी को मार घर भर रहा है आदमी ,,
आज आदमी ही मरता और आदमी ही मारता ,आज आदमी को मार खुद मर रहा है आदमी ...........।
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