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Monday, 2 July 2012

       माँ की नजरों  ने ऐसा संवारा  मुझे ,
               अपना कह कर सभी ने पुकारा मुझे-
       मै तो काविल नही था किसी द्वार का  ,
           माँ की रहमत ने काविल बनाया मुझे........

  है सच्चा दरवार जहाँ से खाली ना कोई जाएगा
  बिन माँगे मिलती है मुरादें , जो दामन फैलाएगा  ।


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