ना तेरा आगाज़ देखा है , ना तेरा अंजाम देखा है
रौशन तुम्हारी ज्योति को माँ सुबह शाम देखा है
गर्दिशे मौत से ना आज तक बच पाया है कोई
करे मुर्दे को भी जिन्दा माँ वो तेरा नाम देखा है ।
माँ के जो लाल है मुश्किल में वो घवराया नही करते
गिला तकदीर का कभी लवों पर लाया नही करते
भरोसा है जिनको जगजननी की रैह्मत पर
भिखारी बनकर दर दर वो हाथ फैलाया नही करते ।
रौशन तुम्हारी ज्योति को माँ सुबह शाम देखा है
गर्दिशे मौत से ना आज तक बच पाया है कोई
करे मुर्दे को भी जिन्दा माँ वो तेरा नाम देखा है ।
माँ के जो लाल है मुश्किल में वो घवराया नही करते
गिला तकदीर का कभी लवों पर लाया नही करते
भरोसा है जिनको जगजननी की रैह्मत पर
भिखारी बनकर दर दर वो हाथ फैलाया नही करते ।
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