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Friday, 29 June 2012

भागवत सन्देश

आज मानव जीवन को भागवत कथा क्यों जरूरी है ...........?
आज मानव जीवन को भागवत कथा इसलिए जरूरी है क्योंकि आज मानव जीवन दिशा हीन होगया है ,अपने मार्ग से भटक गया है । भागवत कथा जीवन दर्पण का कार्य करती है जिस प्रकार हम दर्पण को देखकर अपना चेहरा संवार लेते है अगर वो कहिं से खराब हो गया हो तो उसे ठीक करलेते है उसी प्रकार भागवत कथा को सुन कर उसका मंथन करके अपने जीवन को सुधार लेते है  ।लेकिन भागवत है क्या ...........?
भागवत ---जिसमे भगवान एवं भगवान के भक्तों के चरित्रों का वर्णन है और जिससे हमे भक्ति , ज्ञान , वैराग्य और तपस्या प्राप्त हो , उसे ही भागवत कहा गया है  ।आज मानव जीवन को भागवत कथा बहुत जरूरी है ताकि आज का मानव  "सत्य"  , "प्रेम" और  "करुणा" को अपनाकर एक सच्चा और अच्छा  इन्सान बन सके  क्योंकि ....................
आज आदमी की शक्ल से डर रहा है आदमी ,आदमी को मार घर भर रहा है आदमी ,,
आज आदमी ही मरता और आदमी ही मारता ,आज आदमी को मार खुद मर रहा है आदमी ...........।

Monday, 25 June 2012

' '' माँ भगवती ने अपना जागरण करवाने के लिए किसे कहा .......? ''

  ''  माँ भगवती ने अपना जागरण करवाने के लिए किसे कहा था    .......? '' 
            मातारानी ने अपना जागरण करवाने के लिए राजा मान सिंह को कहा था । जिस समय गढ़ चितौड़ की लड़ाई के बीच में राजा मानसिंह की सेना हार गई थी और राजा मानसिंह की मौत निश्चित हो गयी थी तो राजा मानसिंह ने  माँ भगवती के आगे पुकार की  , कि माँ मेरी इस जंग में आकर मेरी जान की रक्षा करो  । राजा मानसिंह ने मातारानी के आगे इसलिए पुकार की थी  , क्योंकि मातारानी राजा मानसिंह की कुलदेवी थी और जब भी किसी के उपर कोई संकट आता है तो सबसे पहले अपने कुलदेवता को ही मनाता है  ।राजा ने भी जब अपनी कुलदेवी को याद किया तो मातारानी राजे को दर्शनदेने के लिए प्रकट हो गई और कहा भक्ता जा तेरी इस जंग में जीत होएगी । राजा माँ के दर्शन करके मातारानी से कहता है कि माँ जिस प्रकार आपने इस जंग के मैदान में आकर मुझे दर्शन दिए है , उसी प्रकार आप मेरे घर आकर भी मुझे दर्शन देओगे ...........?
राजा मानसिंह की भावना को देखते हुए माता रानी ने कहा भक्ता क्यों नही ..........तू जंग जीत के घर जा के मेरा एक जागरण करवाईं  , तेरे जागरण को सम्पूर्ण करने के लिए  , तुझे दर्शन देने के लिए मै तेरे घर जरुर आऊंगी । और अपने जागरण की बिधि मातारानी ने राजा मानसिंह को बताई  । माँ की कृपा से राजा की जंग में जीत हो गयी और राजा ने घर जाकर मातारानी का जागरण रचाया .............................।
                

Friday, 22 June 2012

'' शरद नवरात्रों की बधाई ''.


शरद नवरात्रों के शुभ अवसर पर '' जागरण एवं भागवत परिवार '' की तरफ से आप सभी को बहुत बहुत
बधाई ...........

                                                                           माता प्रेमिओ  ,
                                                                                               जै  मातादी ..........।
हम शक्तिपीठ माँ ज्वालामुखी क्षेत्र  एवं ध्यानू भग्त की समाधि नगरी के निवासी है  , जोकि जागरण एवं भागवत कथा के रूप में गुणगान करते है  । हमारा गुणगान निम्न विषयों के उपर आधारित होता है ...........।
(1)   आज जागरण का स्तर दिन -प्रतिदिन गिरता जा रहा है ,  आज  जागरण को मनोरंजन समझ लिया है लेकिन जागरण मनोरंजन नही है ,जागरण   मोक्षदाता है  ।किन किन भगतों ने जागरण के द्वारा मोक्ष प्राप्त किया है ............।
(2)    अपना जागरण करवाने के लिए मातारानी ने अपने  किस भक्त को कहा था और क्यों कहा था ...।
(3)    ध्यानूभग्त जी को जागरण में मातारानी ने क्या स्थान प्रदान किया है ,  वो कहाँ के रहने वाले थे  , उनका  कौनसा जन्म स्थान है   , उन्होंने अपना शीश काटकर क्यों अर्पण किया था ...........।
(4)    ध्यानूभग्त जी की अकबर से कैसे और  कहाँ भेंट हुई  , जहाँ अकबर ने ध्यानूज़ी के घोड़े का शीश काटा था और मातारानी ने घोड़ा जिन्दा किया था वो स्थान आज किस नाम से जाना जाता है ...................।
(5)    मातारानी ने किस तारा को वरदान दिया है , किस तारा की कथा जागरण में सुनी जाती है  और उस तारारानी की कथा को संसार में किसने प्रचारित किया .............।
      हमारा लक्ष्य अपने कार्यक्रमों के द्वारा जागरण महिमा को जन -जन तक पहुँचाना है  ।
                                                             जै मातादी   ।
                                                                             महन्त  त्रिलोक राज गोस्वामी ,
                                                                               जागरण  एवम  भागवत परिवार   ।
                                                                               फोन न.   +919816806381
                                                              website :- www.mahanttrilokgi.blogspot.com
                                                               email :-mahant.trilokgi@gmail.com


Wednesday, 20 June 2012

ध्यानू भग्त जी की समाधि

'' ध्यानू भग्त जी की समाधि  ''
एक वार जब ध्यानू भग्त जी माँ ज्वाला जी के दर्शन करने शहर ज्वालामुखी आए तो दर्शन करके इन्ही कागड़ा घाटियों में माँ ज्वाला जी के धाम का प्रचार करता हुआ भ्रमण करने लगा और भ्रमण करते करते आकर नादौन शहर की धरती पर पहुँच गया जो कि ज्वालामुखी शहर से दक्षिण दिशा की तरफ 12किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।यहाँ व्यास नदी  के किनारे एक कुटिया बना करके रहने लगे  और अपने जीवन के अन्तिम 20साल इसी नादौन शहर की धरती पर व्यतीत किए ।लेकिन यहाँ रहते हुए ध्यानूज़ी का हररोज़ का नियम था व्यास नदी में स्नान करना और पैदल जाके माँ ज्वालाजी के दर्शन करना । यही पर रहते हुए ही मातारानी ने ध्यानू जी को तारारानी की कथा का प्रचार करने का आदेश दिया था ।
                  एक दिन इसी नादौन शहर की धरती पर ध्यानू भग्त जी अपना पंचभौतिक शरीर छोड़ कर माँ भगवती के चरणों में ब्रह्मलीन हो गये , आज भी ध्यानूज़ी की समाधि नादौन शहर की धरती पर मौजूद है ।
सन्तों  महन्तों का कहना है कि जिस प्रकार माँ वैष्णो देवी की यात्रा जबतक मातारानी के दर्शन करने के बाद भैरों बाबा जी के दर्शन न किए जाएँ , माँ वैष्णो देवी की यात्रा सम्पूर्ण नही कहलाती  उसी प्रकार जबतक माँ ज्वाला जीके दर्शन करने के बाद ध्यानूज़ी की समाधि के उपर शीश न नवाया जाए , माँ ज्वाला जी की यात्रा भी सम्पूर्ण नही कहलाती है  ।

 

Tuesday, 19 June 2012

न तेरा आगाज़ देखा है  न तेरा अंजाम देखा है ,  रौशन तुम्हारी जोती को माँ सुबह शाम देखा है 

गर्दिशे मौत से न आज तक बच पाया है कोई  , करे मुर्दे को भी जिन्दा माँ वो तेरा नाम देखा है 


तारा रानी की कथा का प्रचार

तारा रानी की कथा का प्रचार देवी भक्त ध्यानू जी ने किया । एक दिन रात को माता रानी ने  ध्यानू भक्त को सपने  में दर्शन दिए और कहा कि भक्ता, मैने अपनी इक भक्तनी तारा की भक्ति के उपर खुश होकर उसे  वरदान दिया है कि तेरी कहानी ही आज के बाद मेरे जागरण को सम्पूर्ण किया करेगी । भक्ता मेरी उस भक्तनी तारा के चरित्र का तू जन -जन में प्रचार कर । ये आदेश देकर उस तारा रानी का सम्पूर्ण चरित्र ध्यानू भग्त जी को सपने में दर्शाया और देवी भक्त ध्यानू जी ने माँ के आदेश पर इस तारा रानी की कथा का प्रचार किया ।इसे पढ़ कर कुछ मनों में प्रश्न उठता है कि माता रानी ने ध्यानू जी को ही क्यों आदेश दिया ...........।वो इसलिए कि माता रानी ने ध्यानू भग्त जी को ही अपने जागरण की महंत पदवी प्रदान की है और मातारानी अपने जागरण के महंत के मुख से ही इस कथा का प्रचार करवाना चाहती थी और प्रचार करवाया ।  यही कारण है कि इस कथा को महंतो के मुख से सुना जाता है  क्योंकि महंतों के मुख से इस कथा को सुनने से विशेष फल की प्राप्ति होती है ....................।
                                 जै माता दी ..........।

Sunday, 17 June 2012

''तारा रानी की कथा ''

     तारा रानी की कथा जागरण का एक मुख्य  भाग है  इसमें माता रानी के उस भक्त की कथा को सुना जाता है जिसको माता रानी ने वरदान दिया है उसकी भक्ति के ऊपर खुश होकर कि आज के बाद तेरी कहानी ही मेरे जागरण को सम्पूर्ण किया करेगी ,जिस जागरण में तेरी कहानी न सुनाई जाएगी वो जागरण मुझे मंजूर नही होगा या कवूल नही होगा ।लेकिन माता रानी  ने किस तारा को वरदान दिया ............?      क्योंकि  तारा तीन हुई है  ।    (1)..इक तारा सत्यवादी  राजा  हरिश्चन्द्र की पत्नी हुई है ।  (2)..इक तारा वानर राज़ वाली की पत्नी हुई है  ।  (3)..इक तारा राजा हरी चन्द की पत्नी हुई है  । किस तारा की कथा जागरण में सुनी जाती है  और माता प्रेमियों संसार में इस बात का पता कैसे चला कि माता रानी ने तारा को वरदान दिया है क्योंकि जब तारा को  वरदान दिया गया था वो किसी भरी सभा में नही दिया गया था उस वक्त केवल तीन ही लोग थे ...एक तारा ..........दूसरा तारा का पति और तीसरा तारा का बेटा   । न तो तारा के पति ने इसका प्रचार किया कि मेरी पत्नी तारा को माता रानी ने वरदान दिया है उसकी कथा जागरण में सुनाई जाए ..............न तो तारा के बेटे ने इसका प्रचार किया .........न तारा ने खुद प्रचार किया कि माता रानी ने मुझे वरदान दिया है मेरी कथा जागरण में सुनाई जाए  । तो संसार में इसका पता कैसे चला        ......................?