एक
कथा के अनुसार श्रीविष्णु पत्नी लक्ष्मी ने शंकर के प्रिय श्रावण माह में
शिवलिंग पर प्रतिदिन 1001 सफेद कमल अर्पण करने का निश्चय किया। स्वर्ण
तश्तरी में उन्होंने गिनती के कमल रखे, लेकिन मंदिर पहुँचने पर तीन कमल
अपने आप कम हो जाते थे। सो मंदिर पहुँचकर उन्होंने उन कमलों पर जल छींटा,
तब उसमें से एक पौधे का निर्माण हुआ। इस पर त्रिदल ऐसे हजारों पत्ते थे,
जिन्हें तोड़कर लक्ष्मी शिवलिंग पर चढ़ाने लगीं, सो त्रिदल के कम होने का
तो सवाल ही खत्म हो गया।
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