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Sunday, 5 August 2012

श्री कृष्ण

 भगवान श्री कृष्ण वास्तव में पूर्ण ब्रह्म ही हैं। उनमें
सारे भूत, भविष्य, वर्तमान के अवतारों का समावेश है। भगवान श्री कृष्ण
अनन्त ऐश्वर्य, अनन्त बल, अनन्त यश, अनन्त श्री, अनन्त ज्ञान और अनन्त
वैराग्य की जीवन्त मूर्ति हैं। वे कभी विष्णु रूप से लीला करते हैं, कभी
नर-नारायण रूप से तो कभी पूर्ण ब्रह्म सनातन रूप से। सारांश ये है कि वे सब
कुछ हैं, उनसे अलग कुछ भी नहीं। अपने भक्तों के दुखों का संहार करने के
लिये वे समय-समय पर अवतार लेते हैं और अपनी लीलाओं से भक्तों के दुखों को
हर लेते हैं। उनका मनोहारी रूप सभी की बाधाओं को दूर कर देता है।

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