कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा है , लेकिन अब समाज में कन्याओं को असुरक्षित पाया जा रहा है । कुछ दरिन्दे उनको अपनी हवश का शिकार बना रहे है । आज समाज में यही आवाज उठ रही है .......
कुडियां दी हिफाजत कौन करे , अम्मा डरदी बापू डरदा ,
धियाँ वाला हर कोई डरे , कुडियां दी हिफाजत कौन करे ।
अज मैं पुछदा है लोकां तो , कुडियां दी सुरक्षा कौन करे ,
चीलाँ गिधाँ दियां नजरां तो , चिड़ियाँ दी सुरक्षा कौन करे ।
धियाँ वाला हर कोई डरे , कुडियां दी हिफाजत कौन करे ।
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है । ऐसे श्रद्धालुओं की कमी नहीं है, जो पूरे नौ दिनों तक कन्या पूजन करते हैं । वहीं ज्यादातर लोग अष्टमी के दिन विधि-विधान से कन्या पूजन कर उन्हे भोजन कराते हैं । शक्ति साधना के पर्व में कुँवारी पूजन का महत्वपूर्ण स्थान है । स्नेह, सरलता और पवित्रता की दृष्टि से कुँवारी कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा हैं । अन्य पूजन और अनुष्ठानों में ब्रम्हभोज की प्रधानता बताई गई है, लेकिन नवरात्रि में शक्ति की उपासना के दौरान अनुष्ठानों की पूर्णता के लिए कन्या पूजन की प्राथमिता बताई गई है ।
कुडियां दी हिफाजत कौन करे , अम्मा डरदी बापू डरदा ,
धियाँ वाला हर कोई डरे , कुडियां दी हिफाजत कौन करे ।
अज मैं पुछदा है लोकां तो , कुडियां दी सुरक्षा कौन करे ,
चीलाँ गिधाँ दियां नजरां तो , चिड़ियाँ दी सुरक्षा कौन करे ।
धियाँ वाला हर कोई डरे , कुडियां दी हिफाजत कौन करे ।
नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है । ऐसे श्रद्धालुओं की कमी नहीं है, जो पूरे नौ दिनों तक कन्या पूजन करते हैं । वहीं ज्यादातर लोग अष्टमी के दिन विधि-विधान से कन्या पूजन कर उन्हे भोजन कराते हैं । शक्ति साधना के पर्व में कुँवारी पूजन का महत्वपूर्ण स्थान है । स्नेह, सरलता और पवित्रता की दृष्टि से कुँवारी कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा हैं । अन्य पूजन और अनुष्ठानों में ब्रम्हभोज की प्रधानता बताई गई है, लेकिन नवरात्रि में शक्ति की उपासना के दौरान अनुष्ठानों की पूर्णता के लिए कन्या पूजन की प्राथमिता बताई गई है ।