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Tuesday, 1 January 2013

'' कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा ''

 कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा है ,  लेकिन अब समाज में कन्याओं को असुरक्षित पाया जा रहा है  । कुछ दरिन्दे उनको अपनी हवश का शिकार बना रहे है । आज समाज में यही आवाज उठ रही है .......
              कुडियां दी हिफाजत कौन करे , अम्मा डरदी  बापू डरदा ,
             धियाँ वाला हर कोई डरे  , कुडियां दी हिफाजत कौन करे ।
                     अज मैं पुछदा है लोकां तो  , कुडियां दी सुरक्षा कौन करे ,
                    चीलाँ गिधाँ दियां नजरां तो , चिड़ियाँ दी सुरक्षा कौन करे  ।
           धियाँ वाला हर कोई डरे  , कुडियां दी हिफाजत कौन करे  ।


नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है । ऐसे श्रद्धालुओं की कमी नहीं है, जो पूरे नौ दिनों तक कन्या पूजन करते हैं । वहीं ज्यादातर लोग अष्टमी के दिन विधि-विधान से कन्या पूजन कर उन्हे भोजन कराते हैं । शक्ति साधना के पर्व में कुँवारी पूजन का महत्वपूर्ण स्थान है । स्नेह, सरलता और पवित्रता की दृष्टि से कुँवारी कन्याएँ साक्षात शक्ति स्वरूपा हैं । अन्य पूजन और अनुष्ठानों में ब्रम्हभोज की प्रधानता बताई गई है, लेकिन नवरात्रि में शक्ति की उपासना के दौरान अनुष्ठानों की पूर्णता के लिए कन्या पूजन की प्राथमिता बताई गई है ।  
शक्ति का प्रादुर्भाव कुँवारी रूप में हुआ है जिसे देवताओं ने अंशभूत शक्तियाँ प्रदान की है । वृहन्नली तंत्र के अनुसार पूजित कुँवारियाँ विघ्न, भय और उत्कृष्ठ शत्रु को नष्ट करने में सक्षम हैं । कुँवारि का पूजन में जाति भेद का विचार करना भी अनुचित है । दुर्गाष्टमी और महानवमीं के दिन जो साधक कुँवारी कन्याओं का पूजन कर कन्याओं को अन्न, वस्त्र और जल अर्पण करते हैं, उसका फल अन्न मेरू के समान और जल समुद्र के समान अक्षुण्य और अनंत होता है । नवरात्र अनुष्ठान में साधक को दो से दस वर्ष की दस कन्याओं के साथ भैरव पूजन करना चाहिए । दो वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमुति, चार वर्ष की कन्या कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की रोहिणी, सात वर्ष की चंद्रिका, आठ वर्ष की शांभवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा मानी गई है । अत: दस वर्ष तक की कन्याओं को ही पूजन में शामिल किया जाना चाहिए । शास्त्र में 11 वर्ष से अधिक आयु वाली कन्याओं के पूजन को शास्त्र सम्मत नहीं माना गया है ।
                  इसलिए कृपया कन्याओं को समाज में सम्मान दीजिए  ।









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