पुराने
जमाने की बात है। एक व्यक्ति अध्ययन करने काशी गया। विभिन्न शास्त्रों की
जानकारी प्राप्त करने में उसे बारह वर्ष लग गए। जब वह लौटा तो घर के लोग
काफी प्रसन्न हुए। पत्नी ने उसके स्नान के लिए गर्म पानी तैयार किया। वह उस
बर्तन को लेकर स्नान गृह गई। उसने देखा कि वहां हजारों चींटियां हैं। उसने
सोचा कि कहीं वे बेचारी बेमौत न मर जाएं, इसलिए उसने गर्म पानी के बर्तन
को दूसरे स्थान पर रख दिया। पति आया और बर्तन को उठाकर फिर पहले वाले स्थान
पर ले गया और वहीं स्नान करने लगा।
पत्नी ने देखा तो वह परेशान हो गई। उसने कहा, ‘मैंने गर्म पानी का यह बर्तन वहां रखा था, यहां कैसे आ गया?’ पति ने कहा, ‘तुम भी अजीब बात करती हो। स्नान का स्थान यही है। मैं यहीं नहाऊंगा न। मैं ही उस बर्तन को यहां उठा लाया।’ इस पर पत्नी बोली, ‘मैं भी पहले यहीं रखना चाह रही थी, लेकिन यहां चींटियां बहुत हैं।
पत्नी ने देखा तो वह परेशान हो गई। उसने कहा, ‘मैंने गर्म पानी का यह बर्तन वहां रखा था, यहां कैसे आ गया?’ पति ने कहा, ‘तुम भी अजीब बात करती हो। स्नान का स्थान यही है। मैं यहीं नहाऊंगा न। मैं ही उस बर्तन को यहां उठा लाया।’ इस पर पत्नी बोली, ‘मैं भी पहले यहीं रखना चाह रही थी, लेकिन यहां चींटियां बहुत हैं।
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