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Saturday, 12 January 2013

'' मकर संक्रांति ''

                                         '' मकर संक्रांति विभिन्नता में एकता का पर्व का महत्व ''
हमारे देश में मकर संक्रांति को सूर्य उपासना के विशेष पर्व के रूप में जाना जाता है। इसे पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं तो तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस बहु-समाजवादी देश में यह महापर्व एक ही मान्यता को अपने अंदर समेटे विभिन्न रीति-रिवाजों व परंपराओं के साथ मनाया जाता है।
दान का महत्व : ब्राह्मणों में इस दिन तिल, चावल और दाल को दान करने का विशेष महत्व है। ब्राह्मण समाज की महिलाएं पूजा करते वक्त सुहाग की निशानियों को चढ़ाती हैं और फिर इन्हें 13 सुहागनों को बांटते हैं।
         '' तुलसी की आराधना ''  :

 महाराष्ट्रीयन परिवारों में सुहागन महिलाएं पुण्यकाल में स्नान कर तुलसी की आराधना और पूजा करती हैं। इस दिन मिट्टी से बना छोटा घड़ा, जिसे सुहाणा चा वाण कहते हैं। इसमें तिल के लड्डू, सुपारी, अनाज, खिचड़ी और दक्षिणा रखकर महिलाएं दान का संकल्प लेती हैं।
संक्रांति मौज-मस्ती से भरपूर : गुजराती रीति-रिवाज में संक्रांति मौज-मस्ती से भरपूर होती है। इस दिन पूरा परिवार घर की छत पर सामूहिक रूप से भोजन करता है। इस रिवाज के साथ ही पुरुष-महिलाएं पतंगें उड़ाते हैं। तिल-गुड के लड्डुओं के अंदर सिक्के रखकर दान करने का भी रिवाज है।
        '' बेटियों का है खास त्योहार '' :

 सिंधी समाज में मकर संक्रांति को बेटियों का खास त्योहार कहा जाता है। संक्रांति पर सबसे अधिक कन्याओं एवं पंडितों को दान दिया जाता है। इस दिन पूर्वजों के नाम पर बेटियों को आटे के लड्डू, तिल के लड्डू, चिक्की और मेवा (स्यारो) दान स्वरूप दी जाती है।
           ''तिल स्नान का महत्व '' :

 कायस्थ समाज की महिलाएं संक्रांति की सुबह पानी में तिल डालकर स्नान करते हैं। साथ ही स्नान के बाद आग में तेल डालकर हाथ सेंकते हैं। संक्रांति के दिन सबेरे 5 बजे जागकर सभी स्नान करते हैं और गाय को चारा डालते हैं। खाने में दाल-बाटी बनाई जाती है। मिठाई में जलेबी एवं तिल के लड्डू आदि बनाए जाते हैं। सबसे पहले ये व्यंजन भानजे को खिलाए जाते हैं।
          ''पंजाबी समाज '' : 

इस दिन बहन-बेटियों की दुआएं ली जाती हैं और उन्हें कुछ न कुछ उपहार लाकर दिया जाता है। त्योहार की धूम मचना एक दिन पहले लोहड़ी पर्व से ही शुरू हो जाती है। होलिका दहन की तरह कंडे डालकर आग लगाई जाती है और उसमें तिल डाले जाते हैं। अग्नि की परिक्रमा की जाती है, बाद में महिलाओं का समूह घर-घर जाकर मूंगफली, तिल आदि वितरित करता है।
बंगाली समाज में भी विशेष रूप से संक्रांति का महापर्व मनाया जाता है। जिसमें तिल के व्यंजनों के अलावा खास चावल से बने व्यंजन पीठा और पाटी सपता को विशेष तौर पर बनाया जाता है।

आप सभी को  मकर सक्रान्ति की बहुत बहुत बधाई ........





  

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